वीरता और तन्हाई (Bravery and Solitude)
(हाय! हाय! हाय!)
धड़कनों की धुन पर, मैं चलता जाऊं
बिजलियों की गूंज में, मैं गरजता जाऊं
शेर की तरह मैं खड़ा हूँ यहाँ
तेरी हिफ़ाज़त मेरा वचन रहा
दुश्मनों के बीच भी मुस्कान रहे
पर अंदर कोई तन्हा कहानी रहे
चमकते सितारों की रोशनी में
मेरी परछाई भी संग चलती रहे
दिल में एक जंग सी होती रहे
पर मैं कभी ना गिरूँ, कभी ना झुकूँ
मैं हूँ वो आग, जो जलती रहे
तेरी हर ख़ुशी की वजह बनू
पर जब रात गहरी हो जाए कहीं
मेरी आँखों में भी एक आँसू हो
सड़कों पे मैं नाचता, लहरों सा बहता
पर भीतर मेरा दिल कहीं टूटता
हर कोई कहे मैं ताकतवर हूँ
पर मेरी तन्हाई को कौन समझे?
(तेरी हंसी मेरी जीत है, तेरी ख़ामोशी मेरी हार…)
मैंने लड़ा, मैंने जीता, पर क्या खुद को भी पाया?
मैं हूँ वो आग, जो जलती रहे
तेरी हर ख़ुशी की वजह बनू
पर जब रात गहरी हो जाए कहीं
मेरी आँखों में भी एक आँसू हो
(हाय… हाय… हाय…)
मैं शेर भी हूँ, मैं साया भी हूँ
इस वीरता में तन्हाई भी हूँ…
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